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मेरी पावन शिवकाशी




मेरी पावन शिवकाशी


दशाश्वमेध घाट अति पावन,  विश्वनाथ इसके  वासी;

सब घाटों से यह बढ़ -चढ़ कर, दिव्य  पुरातन सुखराशी;

गंगा मैया का निर्मल जल, इसी घाट की शोभा है;

स्वच्छ-धवल-रमणीक तीर्थ है,मेरी पावन शिवकाशी।


सदा जागरण होता रहता, कभी नहीं सोती काशी;

जन-जन में चेतना प्रस्फुरण,हर हर कहता हर वासी;

चिंतन होता शिव भोले का,महादेव का नारा भी;

सबके उर में नाचा करती,मेरी पावन शिवकाशी।







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1 Comments

अदिति झा

12-Jan-2023 04:23 PM

Nice 👍🏼

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